Saturday, March 22, 2014

इन आँखों के पीछे 
इन आँखों के पीछे कई राज़ हैं गहरे
इन अल्फाज़ो के पास कई नए इरादे 

कुछ भी देख लेती हैं ये आँखे आजकल 
फर्क ही नहीं भान पाती बेसमझ ये आँखे 

तर्क करती हैं बेतहाशा हकीकत को मानती नहीं 
कुछ यहाँ कुछ  वहाँ बिखेर देती हैं राज़ ये कुछ मेरे 


इन आँखों में आज भी बस्ती हैं परछाई उनकी 
अलविदा जो कर गए हमे छोड़ गए बीच राह में 

हवा के हवाले हम कर आये थे जिन्हे उस दिन 
आग ने बेरहमी से मुहब्बत जो करनी थी जिनसे 

इन आँखों के पीछे कई राज़ हैं गहरे 
इन अल्फाज़ो के पास कई नए इरादे 

आज फिर महकी हैं चमेली समां बाँध कर दे गयी 
चाहे कितना बहलाया दिल को टूटे हुए टुकड़े से को 

मचल सा गया हैं और माने न माने किसी भी बात को 
आँखों से दोस्ती जो कर ली हैं  इस दिल ने इन दिनों 

ख्वाब और ख्याल की सीमाओं  को भूल कर बस 
लग गया हैं दिल आखों की बदमाश साजिश में 

दूर से चला आया था इक साया सा वो अजनबी 
हु ब हु चाल थी उनकी  बस महज़ आवाज ही ना दी थी 

आँखों ने कर दी थी बगावत दिल से दोस्ती जो के हैं 
बदन ही ना चल सका दिल तो कब का गायब हैं इन दिनों